परिमेय संख्या क्या होती है? | परिभाषा | गुणधर्म
नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम जानेंगे कि परिमेय संख्या किसे कहते हैं? परिमेय संख्याओं के गुणधर्म क्या-क्या होते है? तथा इससे जुड़े हुए अनेक तथ्यों के बारे में जानेंगे।
परिमेय संख्या की परिभाषा
जिन संख्याओं को हम p/q के रूप में व्यक्त कर सकते हैं उन संख्याओं को परिमेय संख्या कहते हैं। उदाहरण – 1, 2, 3…….सभी प्राकृतिक संख्याएं। 1/2, 2/4, 4/2, 7/8………. सभी भिन्न। √4, √9, √100, √16, √36, √25………. सभी पूर्ण वर्ग संख्याएं।
एक पूर्णांक को दूसरे पूर्णांक ( 0 के अलावा) से भाग देने पर जो लघुतम प्राप्त हो उन्हें परिमेय संख्या (rational number) कहते है।

परिमेय संख्याओं के गुणधर्म
परिमेय संख्याओं के गुणधर्म निम्नलिखित होते हैं –
क्रमविनमेयता का गुणधर्म
परिमेय संख्याओं के क्रमविनमेयता के गुणधर्म को चार भागों में विभाजित किया गया है –
योग –
परिमेय संख्या के इस गुणधर्म को (a+b = b+a) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अब हम किन्हीं दो परिमेय संख्याओं (2, 4) को लेते हैं तो,
2+4 = 6 तथा 4+2 = 6
अत: हम कह सकते हैं कि परिमेय संख्याओं क्रमविनमेयता का गुण योग के लिए सत्य है। क्योंकि a + b = b + a
व्यकलन –
परिमेय संख्या के इस गुणधर्म को (a-b = b-a) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अब हम किन्हीं दो परिमेय संख्याओं (2, 4) को लेते हैं तो,
2 – 4 = (-2) तथा 4 – 2 = 2
अत: हम कह सकते हैं कि परिमेय संख्याओं क्रमविनमेयता का गुण व्यकलन के लिए असत्य है। क्योंकि a – b ≠ b – a
गुणन –
परिमेय संख्या के इस गुणधर्म को (a × b = b × a) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अब हम किन्हीं दो परिमेय संख्याओं (2, 4) को लेते हैं तो,
2 × 4 = 8 तथा 4 × 2 = 8
अत: हम कह सकते हैं कि परिमेय संख्याओं क्रमविनमेयता का गुण गुणन के लिए सत्य है। क्योंकि a × b = b × a
भाग –
परिमेय संख्या के इस गुणधर्म को (a ÷ b = b ÷ a) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अब हम किन्हीं दो परिमेय संख्याओं (2, 4) को लेते हैं तो,
2 ÷ 4 = 1/2 तथा 4 ÷ 2 = 2
अत: हम कह सकते हैं कि परिमेय संख्याओं क्रमविनमेयता का गुण भाग के लिए असत्य है। क्योंकि a ÷ b ≠ b ÷ a
साहचार्यता का गुणधर्म
योग
परिमेय संख्या के इस गुणधर्म को (a + b) + c = a + (b+a) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अब हम किन्हीं तीन परिमेय संख्याओं (2, 4, 6) को लेते हैं तो,
(2 + 4) + 6 = 6 + 6 = 12 तथ 2 + (4 + 6) = 2 + 10 = 12
अत: हम कह सकते हैं कि परिमेय संख्याओं साहचार्यता का गुण योग के लिए सत्य है। क्योंकि (a + b) + c = a + (b + c)
व्यकलन
परिमेय संख्या के इस गुणधर्म को (a – b) – c = a – (b – c) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अब हम किन्हीं दो परिमेय संख्या (2, 4, 6) को लेते हैं तो,
(2 – 4) – 6 = -2 – 6 = (-8) तथा 2 – (4 – 6) = 2 – 10 = (-8)
अत: हम कह सकते हैं कि परिमेय संख्याओं साहचार्यता का गुण व्यकलन के लिए सत्य है। क्योंकि (a – b) – c = a – (b – c)
गुणन
परिमेय संख्या के इस गुणधर्म को (a × b) × c = a × (b × c) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अब हम किन्हीं दो परिमेय संख्या (2, 6, 4) को लेते हैं तो,
2 × 4 × 6 = 8 × 6 = 48 तथा 2 × 4 × 6 = 2 × 24 = 48
अत: हम कह सकते हैं कि परिमेय संख्याओं साहचार्यता का गुण गुणन के लिए सत्य है। क्योंकि (a × b) × c = a × (b × c)
भाग
परिमेय संख्या के इस गुणधर्म को (a ÷ b) ÷ c = a ÷ (b ÷ c) के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अब हम किन्हीं दो परिमेय संख्या (2, 4) को लेते हैं तो,
2 ÷ 4 ÷ 6 = 1/2 ÷ 6 = 1/12 तथा 2 ÷ 4 ÷ 6 = 2 ÷ 2/3 = 6/2 = 3
अत: हम कह सकते हैं कि परिमेय संख्याओं साहचार्यता का गुण भाग के लिए असत्य है। क्योंकि (a ÷ b) ÷ c ≠ a ÷ (b ÷ c)
महत्वपूर्ण बिंदु
- परिमेय संख्याएँ योग व्यवकलन और गुणन की सक्रियाओं के अंतर्गत संवृत हैं।
- परिमेय संख्याओं के लिए योग और गुणन को सक्रियाएँ ( i ) क्रमविनिमेय है। ( ii ) साहचर्य है।
- परिमेय संख्याओं के लिए परिमेय संख्या शून्य योज्य तत्समक है।
- परिमेय संख्याओं के लिए परिमेय संख्या गुणनात्मक तत्समक है।
- परिमेय संख्याका योज्य प्रतिलोम ” है और बिलामतः भी सत्य है।
- परिमेय संख्याओं की वितरकता परिमेय संख्याएँ के लिए सत्य है।
- परिमेय संख्याओं को संख्या रेखा पर निरूपित किया जा सकता है।
- दो हुई दो परिमेय संख्याओं के मध्य अपरिमित परिमय संख्याएँ होती है।